शुक्रवार, 12 अक्तूबर 2012

शनि को खुश करने वालों पर उनकी कृपा बरसेगी।


8-10-2012 सोमवार शाम 5 बजकर 55 मिनट पर शनि अस्त होकर धरती से दूर चले गये है. इसके साथ ही शनि की सूर्य से नजदीकी बढ़ने लगेगी. अपने पिता के नजदीक जाकर शनि खुद तो जलेगा ही और धरती पर भी आग लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगे. अस्त शनि की ये चाल 8-10-2012 सोमवार से 34 दिनों तक नये नये रगं दिखा कर चौकायेगा  इसलिए इन 34 दिनों में बेहद संभलकर रहें. और अपने कार्यो को अंजाम दे।
न्यायप्रिय ग्रह शनि अपनी ही उच्च राशि में अस्त हो गए हैं। सूर्यदेव के प्रभाव में आकर शनि के अस्त होने से आपकी राशि पर कैसा असर रहेगा जानिए...
शनिदेव अभी उच्च राशि तुला में परिभ्रमण कर रहे हैं, जो 8-10-2012 सोमवार शाम 5 बजकर 55 मिनट पर अस्त हुए हैं और 8 नवंबर को उदय होंगे। इस अवधि में शनि को खुश करने वालों पर उनकी कृपा बरसेगी। खासकर साढ़ेसाती, ढय्या वालों को शनि के कुप्रभाव से राहत मिल जाएगी। सौर मंडल में शनि को न्यायप्रिय ग्रह का दर्जा प्राप्त है। इस समय नीतिगत कार्य करने वालों की उन्नति संभव होगी लेकिन जैसे ही शनि उदय होंगे, वे पुन: अपना प्रभाव दिखाना शुरू कर देंगे।  
मेष - इस राशि के लिए शनि का अस्त होना शुभ रहेगा। कार्यों में सफलता और उन्नति के योग बन रहे हैं।
वृषभ - वृष राशि वालों के लिए यह समय सफलता दिलाने वाला रहेगा। पुराने अटके हुए कार्यों से लाभ होगा।
मिथुन - बुध ग्रह की राशि के लोगों को शनि के अस्त होने से धन लाभ प्राप्त होगा और मान-सम्मान मिलेगा।  
कर्क - इस राशि पर शनि का ढय्या चल रहा है। अत: इन लोगों को कार्यों में कठिन परिश्रम करना पड़ेगा।   
सिंह - कुछ ही दिनों पूर्व इस राशि से शनि की साढ़ेसाती समाप्त हुई है, अत: शनि के अस्त होने से इन्हें और अधिक लाभ प्राप्त होंगे। शत्रुओं पर विजय प्राप्त होगी।       
कन्या- कन्या राशि पर शनि की उतरती हुई साढ़ेसाती चल रही है और शनि अब अस्त हो गए हैं तो इन्हें कार्यों में रुकावटों का सामना करना पड़ेगा।   
तुला - तुला राशि में शनि उच्च के रहते हैं और इस समय इस राशि के लोगों को शनि की साढ़ेसाती का मध्य भाग चल रहा है। शनि अस्त होने के कारण इन लोगों कठिन श्रम करना होगा, तभी सफलता प्राप्त होगी।  
धनु - इन लोगों को कार्यों में सफलता प्राप्त होगी और मान-सम्मान मिलेगा।           
मकर - शनि के इस राशि का स्वामी है और शनि के अस्त होने पर इन लोगों को ऐश्वर्य और समाज में मान-सम्मान प्राप्त होगा।
कुंभ - कुंभ राशि वालों के लिए भी शनि का अस्त होना शुभ समय लेकर आया है। इन लोगों को कार्यों में सफलता प्राप्त होगी।          
मीन - इन लोगों के लिए अस्त शनि थोड़ी परेशानियों लेकर आया है। अत: सावधानी से कार्य करें, स्वास्थ्य का ध्यान रखें।
प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान एवं शिक्षा केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट 09359109683

बुधवार, 16 मई 2012

सूर्य ग्रहण 20 मई 2012 रविवार (ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या) को होगा इस दिन वृषभ राशि में चंद्रमा, बुध, सूर्य, गुरू और केतु रहेंगे।


सूर्य ग्रहण 20 मई 2012 रविवार (ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या) को होगा। इस दिन शनि जयंती का योग भी बन रहा है। सूर्यग्रहण का यह दुर्लभ संयोग सौ साल बाद आ रहा है। जिसमें एक ही राशि में छह ग्रहों के साथ सूर्यग्रहण आएगा। इस दिन वृषभ राशि में चंद्रमा, बुध, सूर्य, गुरू और केतु रहेंगे।
ये पहली बार नहीं है जब शनि जयंती के दिन सूर्य ग्रहण का योग बन रहा है। पं. शर्मा के अनुसार इसके पहले 2011 में भी शनि जयंती व सूर्य ग्रहण का योग बना था।

पांचागों  के अनुसार इस साल का पहला कंकड़ाकृति सूर्य ग्रहण 20 मई 2012 रविवार (ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या) को होगा। इस दिन शनि जयंती का योग भी बन रहा है। सूर्यग्रहण का यह दुर्लभ संयोग सौ साल बाद आ रहा है। जिसमें एक ही राशि में छह ग्रहों के साथ सूर्यग्रहण आएगा। इस दिन वृषभ राशि में चंद्रमा, बुध, सूर्य, गुरू और केतु रहेंगे। ग्रहो का ये योग अद्वभुत योग है ज्योतिषियों के अनुसार यह ग्रहण कृत्तिका नक्षत्र, वृष राशि में होगा, जो भारत के केवल पूर्वी भाग में खण्डग्रास रूप में दिखाई देगा। ग्रहण का मोक्ष दूसरे दिन यानी 21 मई 2012 सोमवार को सुबह 4 बजकर 51 मिनिट पर होगा। वृष राशि में ग्रहण होने से प्राकृतिक आपदा से जन-धन की हानि के योग बन रहे हैं। सरकार और नागरिकों के बीच तनाव और संघर्ष की स्थिति बन सकती है। राष्ट्र को बड़े राजनेताओं की हानि हो सकती है। आकस्मिक दुर्घटना जैसे रेल हादसे, विमान हादसे के कारण जान-माल का नुकसान भी संभावित है। पड़ोसी देशों से संबंधों में भी कुछ मतभेद हो सकते हैं।
भारत में जिन भागों में यह ग्रहण दिखाई देगा, केवल उन्हीं भागों में इसके सूतक पर विचार किया जाएगा.ऐसा मेरे कुछ मित्रो का मानना है परन्तु मेरे विचारो मे भिन्नता है मेरा विचार है भारत वर्ष एक है सूतक का प्रभाव सारे भरतवर्ष पर पडेगा विचार किया जाना चाहिये इस दिन ग्रहण का सूतक स्थानीय सूर्योदय से 12 घण्टे पहले 20 मई से ही आरम्भ हो जाएगा. 20 मई को यह सूतक शाम 4 बजकर 30 मिनट से से आरम्भ हो जाएगा. यदि किसी को सूतक का समय जानना है तब उस स्थान के सूर्योदय से 12 घण्टे पहले का समय लेकर जान सकता है.
हिंदू धर्म के अनुसार ज्येष्ठ मास की अमावस्या को शनि जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान शनि देव का विशेष पूजन किया जाता है। इस बार यह पर्व 20 मई 2012  रविवार को है। लेकिन शनि जयंती के दिन ही इस बार सूर्य ग्रहण का योग भी बन रहा है। ज्योतिष के अनुसार सूर्य व शनि पिता-पुत्र हैं इसलिए शनि जयंती के दिन सूर्य ग्रहण होना ज्योतिषिय दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण घटना है।
ग्रहण के समय मौन रहोगे, जप करोगे, ध्यान करोगे...... तो १०,००० गुना फल प्राप्त होगा सूर्य ग्रहण के समय हज़ार काम छोड़ कर मौनधारण करे और अपने ईष्ट का जप करे। जिन्हें अपने ईष्टदेव का नहीं पता है वह अपने पारीवारिक रीति रिवाजों के अनुसार ईश्वर का ध्यान करना चाहिये. पूजन, जाप, हवन, तर्पण, पाठ, दान आदि कार्य ग्रहण समय तथा सूतक समय में किए जा सकते हैं.
शुक्र कि वस्तुओ पर प्रभाव दिखेगा — चांदी के जेवर या अन्य पदार्थ ,अगरबत्ती व धूप ,श्वेत पदार्थ , कला क्षेत्र ,अभिनय , टूरिज्म , वाहन ,दूध दही ,चावल ,शराब ,श्रृंगार के साधन ,गिफ्ट हॉउस ,चाय -कोफ़ी ,गारमेंट्स ,इत्र,,ड्रेस डिजायनिंग ,मनोरंजन के साधन ,फिल्म उद्योग ,वीडियो पार्लर ,मैरिज ब्यूरो ,इंटीरियर डेकोरेशन ,हीरे के आभूषण ,पालतू पशुओं का व्यापार या चिकित्सक , चित्रकला तथा स्त्रियों के काम में आने वाले पदार्थ , मैरिज पैलेस एवम विवाह में काम आने वाले सभी कार्य व पदार्थ इत्यादि |
प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट के अनुसार के इस बार शनि जयंती के दिन सूर्य ग्रहण होना शुभ है। शनि, सूर्य के पुत्र हैं तथा सूर्य से शत्रुता का भाव रखते हैं किंतु सूर्य, शनि के साथ शत्रुता का भाव नही रखते। 20 मई 2012 रविवार को होने वाला सूर्य ग्रहण व शनि जयंती का संयोग अच्छी वर्षा तथा विदेशी व्यापार में सफलता की ओर संकेत करता है। सूर्य ग्रहण का प्रभाव जिन देशों में होगा उनके शत्रुओं का दमन होगा। भारत के लिए आने वाला सूर्यग्रहण लाभकारी होगा जो चीन तथा पाकिस्तान को सीमित रखने में सफल होगा।
कब-कब बना शनि जयंती के दिन सूर्य ग्रहण का योग 

इसके पूर्व 10 जून 2002 एवं 31 मई 2003 में भी यह योग बना था। शनि जयंती के साथ सूर्य ग्रहण का योग पिछले वर्षों में कई बार बना है। 30 मई 1946, 20 मई 1947, 10 जून 1964, 30 मई 1965, 20 मई 1966, 8-9 मई 1967 में भी यह योग बना था। आगे 10 जून 2021 में भी सूर्य ग्रहण के साथ शनि जयंती का योग बनेगा। 
वृष राशि में ग्रहण होने से प्राकृतिक आपदा से जन-धन की हानि के योग बन रहे हैं। सरकार और नागरिकों के बीच तनाव और संघर्ष की स्थिति बन सकती है। राष्ट्र को बड़े राजनेताओं की हानि हो सकती है। आकस्मिक दुर्घटना जैसे रेल हादसे, विमान हादसे के कारण जान-माल का नुकसान भी संभावित है। पड़ोसी देशों से भी संबंध तनावपूर्ण रहेंगे।

  1. मेष राशि के जातकों को कष्ट हो सकता है. उन्हें हानि का सामना करना पड़ सकता है.
  2. वृष राशि के जातकों को शारीरिक कष्ट हो सकते हैं. इनके धन का क्षय भी हो सकता है. इन्हें सतर्क रहना चाहिए.
  3. मिथुन राशि के जातकों को इस ग्रहण का फल अच्छा मिलने में सन्देह है. इन्हें धन हानि हो सकती है.
  4. कर्क जातकों के लिए इस ग्रहण का फल शुभफलदायी होगा. इन्हें धन लाभ होने की संभावना बनती है.
  5. सिंह राशि के जातकों के लिए यह ग्रहण सुखदायी तथा कल्याणकारी रहने की संभावना बनती है.
  6. कन्या राशि वाले लोगों को सवधान रहना चाहिए. फालतू की बातों में ना उलझे अन्यथा उन्हें अपमानित होना पड़ सकता है.
  7. तुला राशि को विशेषरुप से सतर्क रहना चाहिए. उन्हें अधिक कष्ट उठाने पड़ सकते हैं.
  8. वृश्चिक राशि के जातकों को अपने जीवनसाथी से कष्ट हो सकता है. आपसी अनबन अथवा जीवनसाथी को शारीरिक कष्ट होने की संभावना बनती है.
  9. धनु राशि के व्यक्तियों के लिए यह ग्रहण शुभ रहेगा. उन्हें सुख-साधनों की प्राप्ति के योग बनते हैं.
  10. मकर राशि के जातकों के लिए ग्रहण का फल चिन्ताजनक हो सकता है. आप किसी चिन्ता से घिरे रह सकते हैं.
  11. कुम्भ राशि के जातकों के लिए ग्रहण का प्रभाव कष्टकारी रह सकता है. आपको कुछ कष्टों का सामना करना पड़ सकता है.
  12. मीन राशि के व्यक्तियों के लिए ग्रहण का फल शुभफलदायी रहने की संभावना बनती है. आपको कहीं ना कहीं से धन लाभ हो सकता है.
  13. दूसरा ग्रहण 15दिन बाद  जून सोमवार को पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण वृश्चिक राशि पर पडेगा। अमावस्या पर लगने वाले सूर्य ग्रहण से मेष, वृष, मिथुन, कन्या, तुला, वृश्चिक, मकर और कुंभ राशि प्रभावित होंगी। जबकि कर्क, सिंह, धनु और मीन राशि वालों के लिए अच्छा साबित होगा।
  14. शनि ज्यन्ती पर शनि शमन के उपाय करे
  15. शनिदेव तो कर्मफलदाता है और किसी का पक्षपात नहीं करते हैं। शनि अनुकूलन के उपाय का तात्पर्य वैसे शास्त्रोंक्त अनुष्ठानों व शुभ कर्मों से है जिससे पूर्वकृत कर्मों का प्रायश्चित हो जाता है।
  16.     घर में नीले रंग के वस्त्र, नीले रंग के पर्दे, नीले रंग की चादरें व दीवारों पर भी नीला रंग का प्रयोग करें।
  17.     लगातार 27 शनिवारों को 7 बादाम और 7 उड़द के दाने किसी धर्म स्थान पर रख के आ जायें।
  18.     मांस-मदिरा से दूर रहें।
  19.     किसी भी शनिवार को शुरू करके 43 दिनों तक सूर्योदय के समय शनिदेव पर तेल चढ़ाएं।
  20.     पीपल के वृक्ष पर शनिवार को जल चढाये सूर्य उदय से पूर्व या सूर्य उदय के पश्चात। 
  21.     चांदी का चौकोर टुकड़ा सदा अपने पास रखें।
  22.     स्नान करते समय पानी में कच्चा दूध डाल कर लकड़ी के पट्टे पर बैठकर नहायें।
  23.     यदि चन्द्रमा ठीक न हो तो 500 ग्राम उड़द में सरसों का तेल लगाकर पानी में प्रवाहित करें।
  24.     चन्द्रमा प्रतिकूल हो तो 500 ग्राम दूध सोमवार के दिन बहते पानी में प्रवाहित करें और शनिवार के दिन उड़द प्रवाहित करें।
  25.     शनिवार का व्रत रखें और तेल से शनि का अभिषेक करें। नमक का प्रयोग न करे।
  26.     किसी गरीब लड़की के विवाह में जलावन के लिए कोयले या ईंधन खरीदकर दें।
  27.     झूठ न बोलें। शराब व मांसाहार से दूर रहें।
  28.     रोटी के टुकड़ों पर सरसों का तेल चुपड़कर कौओं या कुत्तो को खिलायें।
  29.     शनिवार के दिन पत्थर के कोयले लंगर पकाने के लिए किसी धार्मिक स्थान में दान दें।
  30.     गौ माता की सेवा करें।
  31.     केसर का तिलक नियमित रूप से माथे पर लगाया करें।
  32.     लोहे की वस्तुएं यानी तवा, चिमटा, अंगीठी आदि का दान किसी संत या सज्जन पुरुष को करें।
  33.     यदि कारोबार में घाटा हो रहा हो तो लगातार 43 दिनों तक कौओं या कुत्तों के लिए रोटी डालें।
  34.     लोहे की बासुरी में खांड भरकर किसी वीरान स्थान में दबा दें।
    प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट 09359109683

शनिवार, 21 अप्रैल 2012

अक्षय तृतीया का सर्वसिद्ध मुहूर्त के रूप में भी विशेष महत्व है तंत्र प्रयोगों से बचाता है यह टोटका


इस बार 24 अप्रैल 2012 को अक्षय तृतीया है. इस दिन किये शुभ कार्य का अक्षय फल मिलता है. 23 अप्रैल की शाम 3.55 बजे से तृतीया लग रही है, जो मंगलवार की शाम 5.51 बजे तक रहेगी
अक्षय तृतीया या आखा तीज वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को कहते हैं। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन जो भी शुभ कार्य किये जाते हैं, उनका अक्षय फल मिलता है। इसी कारण इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है। वैसे तो सभी बारह महीनों की शुक्ल पक्षीय तृतीया शुभ होती है, किंतु वैशाख माह की तिथि स्वयंसिद्ध मुहूर्तो में मानी गई है। भविष्य पुराण के अनुसार इस तिथि की युगादि तिथियों में गणना होती है, सतयुग और त्रेता युग का प्रारंभ इसी तिथि से हुआ है। भगवान विष्णु ने नर-नारायण, हयग्रीव और परशुराम जी का अवतरण भी इसी तिथि को हुआ था। ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का आविर्भाव भी इसी दिन हुआ था। इस दिन श्री बद्रीनाथ जी की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाती है और श्री लक्ष्मी नारायण के दर्शन किए जाते हैं। प्रसिद्ध तीर्थ स्थल बद्रीनारायण के कपाट भी इसी तिथि से ही पुनः खुलते हैं। वृंदावन स्थित श्री बांके बिहारी जी मन्दिर में भी केवल इसी दिन श्री विग्रह के चरण दर्शन होते हैं, अन्यथा वे पूरे वर्ष वस्त्रों से ढके रहते हैं।

अक्षय तृतीया का सर्वसिद्ध मुहूर्त के रूप में भी विशेष महत्व है।
अक्षय तृतीया: तंत्र प्रयोगों से बचाता है यह टोटका
तंत्र का उपयोग पहले जनकल्याण के लिए किया जाता था लेकिन समय के साथ इसका उपयोग स्वार्थ सिद्धि के लिए किया जाने लगा। कुछ लोग अपने स्वार्थ के लिए तंत्र के माध्यम से लोगों को परेशान करते हैं। यदि आप भी दुश्मनों के तांत्रिक प्रयोगों से पीडि़त रहते हैं तो अक्षय तृतीया के दिन यह साधना आपके लिए उपयोगी रहेगी।
सर्वप्रथम मूंगा हनुमान (मूंगे से निर्मित हनुमान प्रतिमा) की स्थापना अपने घर के एकांत कक्ष में चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर करें। उनका यथाविधि पूजन करें और उन पर सिंदूर चढ़ाएं, तदुपरांत इस मंत्र का यथासंभव जप करें-
मंत्र-
ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय,
पर यंत्र-मंत्र-तंत्र-त्राटक-नाशकाय,
सर्व-ज्वरच्छेदकाय, सर्व-व्याधि-निकृन्तकाय,
सर्व-भय-प्रशमनाय, सर्वदुष्ट-मुख-स्तम्भनाय,
देव-दानव-यक्ष-राक्षस-भूत-प्रेत-पिशाच-डाकिनी-शाकिनी-दुष्टग्रह-बन्धनाय,
सर्व-कार्य-सिद्धि-प्रदाय रामदूताय स्वाहा।
अक्षय तृतीया के बाद मूंगा हनुमानजी की प्रतिमा को अपने पूजा स्थान में स्थापित करें और प्रत्येक दिन उनका धूप-दीप से पूजन करें तथा इस मंत्र का कम से कम 11 बार जप करें।
अगर किया हो किसी ने बिजनेस पर टोटका तो यह करें
व्यापार-व्यवसाय में प्रतिस्पर्धा भी होती है लेकिन कुछ लोग तंत्र का प्रयोग कर दूसरे की दुकान या व्यवसाय को बांध देते हैं जिसके कारण चलता हुआ बिजनेस भी ठप्प हो जाता है। यदि किसी ने आपके व्यापार-व्यवसाय पर भी तांत्रिक प्रयोग कर दिया हो तो इस साधना से उस तांत्रिक प्रयोग को काटा जा सकता है। इस उपाय से व्यापार फिर से उन्नति करने लगेगा। यह उपाय अक्षय तृतीया(6 मई, शुक्रवार) को करें तो और भी अधिक शुभ फल प्रदान करता है।
उपाय
1 दिव्य शंख, 11 लक्ष्मीकारक कौडिय़ां एवं सात गोमती चक्र, 108 काली मिर्च, 108 लौंग एवं थोड़ी सी सरसों (लगभग 100 ग्राम) को पीसकर रख लें। शाम को लकड़ी के पटरे पर या बैत कि चौकि पर एक काला कपड़ा बिछाकर किसी कटोरी में इस मिश्रण को भरकर स्थापित कर लें। अब सरसों के तेल का दीपक जलाकर इस कटोरी को भीतर रख दें। फिर दक्षिण की तरफ मुंह करके बैठें एवं नीचे लिखे मंत्र की 3 या 7 माला जप करें।
मंत्र---ऊँ दक्षिण भैरवाय भूत-प्रेत बंध तंत्र बंध निग्रहनी सर्व शत्रु संहारणी सर्व कार्य सिद्धि कुरु-कुरु फट् स्वाहा
अगले दिन थोड़ा सा मिश्रण कटोरी में से निकालकर दुकान के सामने बिखेर दें। इस प्रयोग द्वारा आप किसी भी प्रकार के तंत्र बंधन को काट सकते हैं।
अक्षय तृतीया: इस टोटके से कभी न होगी पैसे की कमी----अक्षय तृतीया के शुभ मुहूर्त में यदि कोई टोटका किया जाए तो वह बहुत शीघ्र ही सिद्ध हो जाता है और शुभ फल मिलने लगते हैं। इस बार 24 अप्रैल 2012 को अक्षय तृतीया है। इस अवसर पर नीचे लिखे टोटके को पूरे विधि-विधान से किया तो जीवन में कभी पैसे की कमी नहीं रहती। यह अत्यंत सफल, प्रभावी और तेजस्वी टोटका है।
टोटका
अक्षय तृतीया 24 अप्रैल 2012 की रात को साधक शुद्धता के साथ स्नान कर पीली धोती धारण करे और एक आसन पर उत्तर की ओर मुंह करके बैठ जाएं तथा सामने सिद्ध लक्ष्मी यंत्र को स्थापित करें जो विष्णु मंत्र से सिद्ध हो और स्फटिक माला से निम्न मंत्र का 21 माला जप करें। मंत्र जप के बीच उठे नहीं, चाहे घुंघरुओं की आवाज सुनाई दे या साक्षात लक्ष्मी ही दिखाई दे।
मंत्र---ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं ऐं ह्रीं श्रीं फट्

गुरुवार, 2 फ़रवरी 2012

कार्य की सिद्धि के लिए

अगर आप किसी कार्य की सिद्धि के लिए जाते समय घर से निकलने से पूर्व ही अपने हाथ में रोटी ले लें। मार्ग में जहां भी कौए दिखलाई दें, वहां उस रोटी के टुकड़े कर के डाल दें और आगे बढ़ जाएं। इससे सफलता प्राप्ती के योग बनते है।

सोमवार, 30 जनवरी 2012

स्वयं का मकान नही बन पा रहा हो


लाख प्रयत्न करने पर भी स्वयं का मकान नही बन पा रहा हो, तो आप इस टोटके को अवश्य अपनाएं। 
प्रत्येक शुक्रवार को नियम से किसी भूखे को भोजन कराएं और रविवार के दिन गाय को गुड़ खिलाएं। ऐसा नियमित प्रति दिन करने से अपनी अचल सम्पति बनेगी या पैतृक सम्पति प्राप्त होगी। अगर सम्भव हो तो प्रात:काल स्नान-ध्यान के पश्चात् निम्न मंत्र का जाप करें।
 “ॐ पद्मावती पद्म कुशी वज्रवज्रांपुशी प्रतिब भवंति भवंति।।´´
 यह मंत्र जाप आपको सफलता अवश्य दिलायेगा। 

सुख शांति और संतुष्टि की प्राप्ति होगी

रविवार के दिन पुष्य नक्षत्र हो, तब गूलर के वृक्ष की जड़ प्राप्त कर के घर लाएं। इसे धूप, दीप करके धन स्थान पर रख दें। यदि इसे धारण करना चाहें तो स्वर्ण ताबीज में भर कर धारण कर लें।
जब तक यह ताबीज आपके पास रहेगी, तब तक कोई कमी नहीं आयेगी। घर में संतान सुख उत्तम रहेगा। यश की प्राप्ति होती रहेगी। धन संपदा भरपूर होंगे। सुख शांति और संतुष्टि की प्राप्ति होगी।

शुक्रवार, 6 अगस्त 2010

1 अगस्त 2010

1 अगस्त: तिलक स्मृति दिवस, रविव्रत (दिग.जैन)
2 अगस्त: सोमवार व्रत, श्रीमहाकाल की सवारी (उज्जयिनी), शीतला सप्तमी, कांवड धारण मुहू‌र्त्त,
3 अगस्त: कालाष्टमी व्रत, केर पूजा (त्रिपुरा), मैथलीशरण गुप्त जयंती
4 अगस्त: दशाफल व्रत
5 अगस्त: रोहिणी व्रत (दिग.जैन), कांवड धारण मुहू‌र्त्त
6 अगस्त: कामिका (कामदा) एकादशी व्रत, कांवड धारण मुहू‌र्त्त
7 अगस्त: शनि-प्रदोष व्रत, (पुत्र-प्राप्ति हेतु)
8 अगस्त: मासिक शिवरात्रि व्रत, रविव्रत (दिग.जैन)
9 अगस्त: सावन-सोमवार व्रत, श्राद्ध की अमावस, सोमवती अमावस, श्रीमहाकाल की सवारी (उज्जयिनी), पाक्षिक प्रतिक्रमण (श्वेत.जैन)
10 अगस्त: स्नान-दान की हरियाली अमावस्या, स्वामी अखण्डानंद जयंती
11 अगस्त: नवीन चन्द्र-दर्शन, सिंधारा दूज, स्वामी करपात्री जयंती
12 अगस्त: हरियाली तीज, मधुस्त्रवा तृतीया व्रत, स्वर्णगौरी व्रत, श्रीबांकेबिहारी स्वर्ण हिण्डोले में (वृंदावन), मणिपर्वत झूला (अयोध्या), ठकुराइन जयंती, रमजान- रोजा शुरू
13 अगस्त: वरदविनायक चतुर्थी व्रत, वीर दुर्गादास राठौर जयंती, दूर्वागणपति चतुर्थी, महालक्ष्मी-पूजा, श्रमण तप प्रारंभ (जैन)
14 अगस्त: नागपंचमी, तक्षक-पूजन, गुडिया पर्व, श्रीहनुमद्ध्वजारोहण, श्रीनागचन्द्रेश्वर-दर्शन (उज्जयिनी), कल्कि अवतार षष्ठी (सायंकालीन)
15 अगस्त: रांधण छठ (गुजरात), सूर्य-पूजन, योगी अरविन्द जयंती, स्वतंत्रता दिवस, रविव्रत (दिग.जैन)
16 अगस्त: सावन-सोमवार व्रत, शीतला सप्तमी (मिथिलांचल), नढी थधिडी (सिन्धी), गोस्वामी तुलसीदास जयंती, सिंह-संक्रान्ति शेष रात्रि 5.34 बजे, पुण्यकाल आगामी दिन, मोक्ष-मुकुट सप्तमी (दिग.जैन), श्रीमहाकाल की सवारी (उज्जयिनी), अवंतीबाई जयंती (लोधी)
17 अगस्त: सिंह-संक्रान्ति का पुण्यकाल सूर्योदय से मध्याह्न 11.58 तक, श्रीदुर्गाष्टमी व्रत, श्रीअन्नपूर्णाष्टमी व्रत, मेला नयनादेवी-चिन्तपूर्णी-चामुण्डा देवी (हिमाचल), दूर्वाष्टमी व्रत, मनसा पूजा समाप्त (बंगाल), सिंहादि
18 अगस्त: नकुल नवमी, श्रीरामकृष्ण परमहंस स्मृति दिवस
19 अगस्त: अक्षय-कलश दशमी (जैन)
20 अगस्त: पुत्रदा एकादशी व्रत, पवित्रा ग्यारस, झूलनयात्रा प्रारंभ (गौडीय वैष्णव), वरदलक्ष्मी व्रत, लालजी चालीहो (सिन्धी), सद्भावना दिवस
21 अगस्त: पवित्रा द्वादशी (पवित्रा बारस), श्रीधर द्वादशी, श्यामबाबा द्वादशी, शनि-प्रदोष व्रत (पुत्र-प्राप्ति हेतु), श्रावण द्वादशी (जम्मू-कश्मीर), लालजी एकतालीहो (सिन्धी)
22 अगस्त: सूर्य-महापूजा, शिवपवित्रारोपण, रविव्रत (दिग.जैन)
23 अगस्त: सावन-सोमवार व्रत, श्रीमहाकाल की सवारी (उज्जयिनी), सूर्य सायन कन्या में प्रात: 10.57 बजे, सौर शरद् ऋतु प्रारंभ, ओणम् (केरल), ऋग्वेदी उपाकर्म.
24 अगस्त: स्नान-दान-व्रत की श्रावणी पूर्णिमा, रक्षाबंधन, राखी प्रात: 9.20 के बाद बांधना शुभ, शुक्ल-कृष्ण यजुर्वेदी तथा अथर्ववेदी श्रावणी उपाकर्म, सत्यनारायण पूजा-कथा, हयग्रीवावतार जयंती, नारयली पूर्णिमा, लव-कुश जयंती, झूलनयात्रा पूर्ण, संस्कृत दिवस, गायत्री जयंती, श्रीदाऊजी एवं रेवती माता का श्रृंगार (ब्रज), बलभद्र पूजन (उडीसा), अवनी अवंती (दक्षिण भारत), सलोनो, पाक्षिक प्रतिक्रमण (श्वेत.जैन).
25 अगस्त: भाद्रपद मास में दही त्यागें किन्तु मट्टा पी सकते हैं, गायत्री पुरश्चरण प्रारंभ, कजलियां (मध्यप्रदेश), षोडशकारण व्रत प्रारंभ (दिग.जैन)
26 अगस्त: अशून्य शयन व्रत, विंध्याचली-भीमचण्डी जयंती, कज्जली का रतजगा, बृहस्पति-महापूजा, बृहस्पतेश्वर-दर्शन (काशी, उज्जैन)
27 अगस्त: कज्जली (कजरी) तीज, तीजडी (सिन्धी), सातूडी तीज, विशालाक्षी दर्शन-यात्रा (काशी), गोपूजा तृतीया, मदर टेरेसा जयंती
28 अगस्त: संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत, विनायक चतुर्थी व्रत, बहुला चतुर्थी, व्यतिपात महापात प्रात: 7.38 से मध्याह्न 12.25 तक
29 अगस्त: रक्षापंचमी, भाई-बहिना टीका प्रात: 7.33 के बाद (खत्री), श्रीमाधवदेव तिथि (असम), गोगा पंचमी, श्रमण तप पूर्ण (जैन), अक्षयनिधि तप प्रारंभ (श्वेत.जैन),
30 अगस्त: रक्षापंचमी (मतान्तर से), कोकिला पंचमी (जैन), चन्द्रषष्ठी (चाना छठ) व्रत, हलषष्ठी (ललही छठ), श्रीमहाकाल की सवारी (उज्जयिनी), पक्षधर (श्वेत.जैन)
31 अगस्त: बलदेव षष्ठी, श्रीबलराम जयंती महोत्सव (ब्रज), रांधण छठ (गुजरात), शीतला व्रत

1 सितंबर 2010

1 सितंबर: शीतला सप्तमी, ठंडरी का पूजन और बसौडा, वदी थधिडी (सिन्धी), कालाष्टमी व्रत, श्रीकृष्णावतार जयंती व्रत (स्मार्तो की जन्माष्टमी), आद्या काली जयंती, संत ज्ञानेश्वर जयंती, मोहरात्रि, शहादत-ए-हजरत अली (मुस.), गुरु ग्रन्थसाहिब प्रथम प्रकाश उत्सव (नानकशाही कैलेण्डर)
2 सितंबर: श्रीकृष्ण-जन्माष्टमी व्रत (वैष्णवों का), श्रीकृष्ण-जन्मोत्सव (ब्रज), गोकुलाष्टमी, गोविंदा-मटकीफोड (महाराष्ट्र)
3 सितंबर: नन्दोत्सव-दधि कांदौं (ब्रज), गोगा नवमी
4 सितंबर: अजा (जया) एकादशी व्रत (स्मार्तो का), जैन पर्युषण पर्व प्रारंभ (चतुर्थी पक्ष), अक्षयनिधि व्रत (जैन)
5 सितंबर: अजा एकादशी व्रत (वैष्णव का), जैन पर्युषण पर्व प्रारंभ (पंचमी पक्ष), शिक्षक दिवस, मदर टेरेसा स्मृति दिवस, बछ बारस (गौ-बछडा)
6 सितंबर: सोम-प्रदोष व्रत, मासिक शिवरात्रि व्रत, कलियुगादि तिथि, श्रीमहाकाल की शाही सवारी (उज्जयिनी), कैलास यात्रा 2 दिन
7 सितंबर: अघोर चतुर्दशी, पूर्व रात्रि में शब-ए-कद्र (मुस.), अहिल्याबाई स्मृति दिवस, पाक्षिक प्रतिक्रमण (श्वेत.जैन)
8 सितंबर: स्नान-दान-श्राद्ध की अमावस्या, कुशोत्पाटनी (कुशग्रहणी) अमावस, पिठौरी अमावस, सती-पूजा (मारवाड), लोहार्गल-यात्रा, वृषभोत्सव (पोला), गोटमार मेला (म.प्र.), विश्व साक्षरता दिवस
9 सितंबर: नक्त व्रत पूर्ण, चन्द्र-दर्शन की आंशिक संभावना, मौनव्रत प्रारंभ, रुद्र व्रत, वैधृति महापात दिन 3.11 से सायं 7.09 तक, मेघमाला व्रत प्रारंभ (जैन), महावीर जन्म वांचन (श्वेत. जैन)
10 सितंबर: नवीन चन्द्र-दर्शन, ईद का चांद, बाबा रामदेवपीर जयंती 625 वीं, सामवेदी श्रावणी, हरितालिका तीज एवं वाराहावतार जयंती (आधुनिक दृश्यगणितानुसार), त्रिलोक तीज (दिग.जैन), तेलाघर (श्वेत. जैन)
11 सितंबर: हरितालिका तीज एवं वाराहावतार जयंती (प्राचीन सूर्य सिद्धान्तानुसार), सिद्धिविनायक चतुर्थी व्रत, श्रीगणेशोत्सव प्रारंभ, आज चन्द्र-दर्शन निषिद्ध है, पत्थर चौथ, चौठ चन्द्र (मिथिलांचल), सौभाग्य चतुर्थी (बंगाल), पर्युषण पर्व पूर्ण-जैन संवत्सरी (चतुर्थी पक्ष), ईद-उल-फितर
12 सितंबर: ऋषि पंचमी-मध्याह्न में सप्तर्षि पूजन, गर्ग एवं अंगिरा ऋषि जयंती, आकाश पंचमी (जैन), पर्युषण पर्व पूर्ण-जैन संवत्सरी (पंचमी पक्ष), 12 से 16 सितम्बर पुष्पांजलि व्रत तथा 12 से 22 सितंबर दशलक्षण व्रत (दिग.जैन), मूल सूत्र वांचन (श्वेत.जैन)
13 सितंबर: बलदेव छठ (ब्रज), श्रीबलराम जयंती महोत्सव, सूर्यषष्ठी व्रत, लोलार्क षष्ठी (काशी), स्कन्द (कुमार) षष्ठी व्रत, चंदन षष्ठी (जैन)
14 सितंबर: मुक्ताभरण सप्तमी व्रत, संतान सप्तमी व्रत, ललिता सप्तमी (बंगाल, उडीसा), निर्दोष-शील सप्तमी (दिग.जैन), अवधूत भगवान राम जयंती (काशी), राष्ट्रभाषा हिंदी दिवस, अनुराधा में ज्येष्ठागौरी का आवाहन
15 सितंबर: श्रीदुर्गाष्टमी व्रत, श्रीअन्नपूर्णाष्टमी व्रत, श्रीराधाष्टमी व्रतोत्सव, राधारानी-जन्मोत्सव (बरसाना), स्वामी हरिदास जयंती (वृन्दावन), 16 दिन का महालक्ष्मी व्रत एवं लक्ष्मीकुण्ड-स्नान प्रारंभ (काशी), ज्येष्ठा में ज्येष्ठागौरी का पूजन, नि:शल्य अष्टमी (दिग.जैन), दुबडी आठें (श्वेत.जैन)
16 सितंबर: नन्दा नवमी, अदुख नवमी, श्रीचन्द्र जयंती, तल नवमी (बंगाल, उडीसा), श्रीमद्भागवत जयंती, कन्या-संक्रान्ति शेष रात्रि 5.29 बजे, पुण्यकाल आगामी दिन, मूल में ज्येष्ठागौरी का विसर्जन
17 सितंबर: विश्वकर्मा-पूजन, कन्या-संक्रान्ति का पुण्यकाल मध्याह्न 11.53 बजे, संकल्प में प्रयोजनीय शरद् ऋतु प्रारंभ, दशावतार दशमी व्रत, तेजा दशमी, मेला रामदेव जी, सुगंध-धूप दशमी (दिग.जैन), अनन्त व्रत प्रारंभ (दिग.जैन)
18 सितंबर: पद्मा एकादशी, जलझूलनी एकादशी, धर्मा-कर्मा एकादशी, डोल ग्यारस
19 सितंबर: पद्मा एकादशी व्रत (निम्बार्क वैष्णव), श्रवण-द्वादशी व्रत, वामनावतार जयंती, महारविवार व्रत, इन्द्रपूजा प्रारंभ (मिथिलांचल), भुवनेश्वरी महाविद्या जयंती
20 सितंबर: श्यामबाबा द्वादशी, सोम-प्रदोष व्रत
21 सितंबर: गोत्रिरात्र प्रारंभ, वितस्ता त्रयोदशी, मटकीफोड लीला (बरसाना), रत्नत्रय व्रत 3 दिन
22 सितंबर: अनन्तचतुर्दशी, पूर्णिमा व्रत, श्रीसत्यनारायण पूजा-कथा, पाक्षिक प्रतिक्रमण (श्वेत.जैन), व्यतिपात महापात दिन 12.20 से सायं 5.41 तक
23 सितंबर: स्नान-दान की पूर्णिमा, उमा-महेश्वर व्रत, लोकपाल-पूजन, महालया प्रारंभ, पूर्णिमा का श्राद्ध, सन्यासियों का चातुर्मास पूर्ण, सूर्य सायन तुला में प्रात: 8.40 बजे, शरद् सम्पात्, सूर्य दक्षिण गोल में, महाविषुव दिवस, षोडशकारण व्रत पूर्ण एवं क्षमावाणी (दिग.जैन)
24 सितंबर: आश्विन में दूध त्यागें, पितृपक्ष प्रारंभ, प्रतिपदा (1) का श्राद्ध

1 अक्टूबर 2010

1 अक्टूबर: अष्टमी (8) का श्राद्ध, कालाष्टमी, गया-मध्याष्टमी, जीवित्पुत्रिका व्रत (जीउतिया), अष्टका श्राद्ध, रक्तदान दिवस।
2 अक्टूबर: नवमी (9) का श्राद्ध, मातृनवमी-सुहागिनों का श्राद्ध, महात्मा गांधी एवं लालबहादुर शास्त्री जयंती, अहिंसा दिवस।
3 अक्टूबर: दशमी (10) का श्राद्ध।
4 अक्टूबर: एकादशी (11) का श्राद्ध, दिन 2.09 बजे के बाद द्वादशी (12) का श्राद्ध, वैष्णव-संन्यासी का श्राद्ध, इंदिरा एकादशी व्रत।
5 अक्टूबर: रेंटिया बारस, त्रयोदशी (13) का श्राद्ध, मघा-श्राद्ध, भौम-प्रदोष व्रत (ऋणमोचन हेतु), गजच्छाया योग प्रात: 10.57 से दिन 1.18 तक, वैधृति महापात दिन में 11.26 से 3.27 तक।
6 अक्टूबर: चतुर्दशी (14) का श्राद्ध, दुर्मरण श्राद्ध- शस्त्र, विष, अग्नि, जल, दुर्घटना से मृत का श्राद्ध, मासिक शिवरात्रि व्रत।
7 अक्टूबर: स्नान-दान-श्राद्ध की अमावस्या, पितृविसर्जनी अमावस, पूर्णिमा, चतुर्दशी, अमावस्या सहित सब तिथियों का श्राद्ध, अज्ञात मरणतिथिवालों का श्राद्ध, महालया समाप्त, मेला-गयाजी, पिण्डारा, पिहोवा, कुरुक्षेत्र एवं गढगंगा, गजच्छाया योग प्रात: 7.43 से सूर्यास्त तक, पाक्षिक प्रतिक्रमण (श्वेत.जैन)।
8 अक्टूबर: शारदीय नवरात्र प्रारंभ, कलश (घट) स्थापना मध्याह्नकालीन अभिजित् मुहू‌र्त्त में शुभ, नाती द्वारा नाना-नानी का श्राद्ध, महाराज अग्रसेन जयंती, वायुसेना दिवस, अवतार मेहेरबाबा जयंती, भगवती दोल पर आई।
9 अक्टूबर: नवीन चन्द्र-दर्शन, रेमन्त-पूजन (मिथिलांचल), श्रीगुरु रामदास जयंती, कांशीराम जयंती।
10 अक्टूबर: सिन्दूर तृतीया।
11 अक्टूबर: वरदविनायक चतुर्थी व्रत, रथोत्सव चतुर्थी, माना चतुर्थी (बंगाल, उडीसा), जयप्रकाश नारायण जयंती।
12 अक्टूबर: उपांग ललिता पंचमी व्रत, महालक्ष्मी-पूजन, डॉ. राममनोहर लोहिया स्मृति दिवस, स्कन्द (कुमार) षष्ठी व्रत, दक्षिणामुखी संकटमोचन श्रीहनुमान दर्शन-पूजन।
13 अक्टूबर: शारदीय दुर्गापूजा की बिल्वाभिमंत्रण षष्ठी, तपषष्ठी (उडीसा), गजगौरी व्रत, मूल में सरस्वती (देवी) का आवाहन।
14 अक्टूबर: बंगाली दुर्गापूजा प्रारंभ, श्रीदुर्गा-महासप्तमी व्रत, पत्रिका-प्रवेश, महानिशा-पूजा, पूर्वाषाढ में सरस्वती (देवी) का पूजन, भद्रकाली पूजा।
15 अक्टूबर: श्रीदुर्गा-महाष्टमी व्रत, श्रीअन्नपूर्णाष्टमी व्रत एवं परिक्रमा (काशी), उत्तराषाढ में सरस्वती (देवी) के निमित्त बलिदान, नवपद ओली प्रारंभ (श्वेत.जैन)।
16 अक्टूबर: श्रीदुर्गा-महानवमी व्रत, त्रिशूलनी पूजा (मिथिलांचल), एकवीरा पूजा, श्रवण में सरस्वती (देवी) का विसर्जन, नवमी का हवन सायं 5.59 से पूर्व करें, सांईबाबा महोत्सव प्रारंभ (शिरडी), विश्व खाद्य दिवस।
17 अक्टूबर: विजयादशमी (दशहरा), शमी एवं अपराजिता पूजा, नीलकण्ठ-दर्शन शुभ, आयुध (शस्त्र) पूजन, सीमोल्लंघन, खत्री दिवस, बौद्धावतार दशमी, सांईबाबा समाधि दिवस, श्रीमहाकाल-सवारी (उज्जयिनी), माधवाचार्य जयंती, तुला-संक्रान्ति सायं 5.27 बजे, पुण्यकाल दिन 11.03 से सायं 5.27 तक।
18 अक्टूबर: पापांकुशा एकादशी व्रत, भरत-मिलाप।
19 अक्टूबर: पद्मनाभ द्वादशी, श्यामबाबा द्वादशी।
20 अक्टूबर: प्रदोष व्रत।
21 अक्टूबर: वाराह चतुर्दशी, शाकंभरीदेवी मेला (देवबन), आजाद हिन्द फौज स्थापना दिवस, कर्म निर्जर व्रत (जैन)।
22 अक्टूबर: शरद पूर्णिमा व्रतोत्सव, कोजागरी-लक्ष्मी पूजा, महारास पूर्णिमा (ब्रज), श्रीसत्यनारायण पूजा-कथा, श्रीबांकेबिहारी द्वारा मोर-मुकुट और कटि-काछनी तथा वंशी धारण करना (वृंदावन), लक्ष्मी एवं इन्द्र पूजन, महर्षि वाल्मीकि जयंती, पीर मत्स्येन्द्रनाथ उत्सव (उज्जयिनी), अग्र महाकुम्भ (अग्रोहा), पाक्षिक प्रतिक्रमण (श्वेत.जैन)।
23 अक्टूबर: स्नान-दान की 'अश्विनी' नक्षत्रयुता आश्विनी पूर्णिमा, कार्तिक स्नान-नियम तथा आकाश दीप-दान प्रारंभ, सूर्य सायन वृश्चिक में सायं 6.05 बजे, सौर हेमन्त ऋतु प्रारंभ।
24 अक्टूबर: पवित्र कार्तिक (दामोदर) मास प्रारंभ, तुलसीदल से श्रीहरि का पूजन, अशून्य शयन व्रत।
26 अक्टूबर: संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत, करवाचौथ व्रतोत्सव, अंगारकी चतुर्थी, कृष्णपिंगाक्ष चतुर्थी, गणेशशंकर विद्यार्थी जयंती, रोहिणी व्रत (दिग.जैन)।
27 अक्टूबर: दशरथ चतुर्थी।
30 अक्टूबर: कालाष्टमी व्रत, अहोई अष्टमी, अ‌र्द्धरात्रि में श्रीराधाकुण्ड-स्नान (मथुरा), बहुला अष्टमी, दाम्पत्याष्टमी, कराष्टमी (महाराष्ट्र), वैधृति महापात देर रात 1.28 से।
31 अक्टूबर: सरदार वल्लभ भाई पटेल जयंती, वैधृति महापात प्रात: 6.25 तक।

2 नवंबर 2010

2 नवंबर: रमा (रम्भा) एकादशी व्रत
3 नवंबर: गोवत्स द्वादशी (गौ-बछडा), गोत्रिरात्र प्रारंभ, धनत्रयोदशी (धनतेरस), धंवंतरि जयंती, कामेश्वरी जयंती, यमपंचक शुरू, प्रदोष व्रत
4 नवंबर: मासिक शिवरात्रि व्रत, नरकहरा चतुर्दशी, काली चतुर्दशी, रूप चतुर्दशी, श्रीहनुमान जयंती (अयोध्या), धूमावती जयंती।
5 नवंबर: दीपावली महोत्सव, श्रीगणेश-लक्ष्मी-कुबेर का पूजन, कमला महाविद्या जयंती, काली (श्यामा) पूजा, सुखरात्रि-जागरण, पितृश्राद्ध की अमावस, महावीर स्वामी निर्वाणोत्सव (जैन), गौर-केदार व्रत, स्वामी रामतीर्थ जन्म एवं पुण्यतिथि, दयानंद स्मृति दिवस।
6 नवंबर: स्नान-दान की अमावस्या, अन्नकूट महोत्सव, गोव‌र्द्धन-पूजन, बलि-पूजन, सायं गो-क्रीडा, गो-संवर्धन सप्ताह प्रारंभ।
7 नवंबर: नवीन चन्द्र-दर्शन, भ्रातृ द्वितीया (यम द्वितीया), भैय्यादूज, चित्रगुप्त एवं विश्वकर्मा-पूजन, महावीर निर्वाण सम्वत् 2537 प्रारंभ (जैन), नेपाली सम्वत् 1131 प्रारंभ, यमपंचक समाप्त, आचार्य श्रीतुलसी जन्मदिवस
8 नवंबर: भैय्यादूज (मिथिलांचल), चित्रगुप्त-दवात पूजा, श्रीमहाकाल की सवारी (उज्जयिनी), बग्वाली (उत्तरांचल), हज सफर शुरू।
9 नवंबर: अंगारकी वरदविनायक चतुर्थी व्रत, दूर्वा गणपति व्रत
10 नवंबर: सूर्यषष्ठी व्रत प्रारंभ, छठ पूजा शुरू- नहाय खाय (बिहार, झारखण्ड), सौभाग्य-लाभ पंचमी, पाण्डव पंचमी।
11 नवंबर: छठ पूजा का द्वितीय दिवस-खरना, स्कन्द (कुमार) षष्ठी व्रत, व्यतिपात महापात देर रात 2.47 से, दृश्यगणितानुसार सूर्य (प्रतिहार) षष्ठी व्रत।
12 नवंबर: सूर्यषष्ठी व्रत, छठ पूजा, डाला छठ (काशी), सूर्यास्त के समय सूर्य को प्रथम अ‌र्घ्य-दान, व्यतिपात महापात प्रात: 9.11 तक।
13 नवंबर: प्रात: सूर्य को द्वितीय अ‌र्घ्य-दान, छठ व्रत का पारण, जगद्धात्री पूजा 3 दिन (बंगाल), सामा-पूजा शुरू (मिथिलांचल), संत जलाराम बप्पा जयंती, चौमासी अट्ठाई प्रारंभ (जैन)।
14 नवंबर: गोपाष्टमी, गोपाल अष्टमी (जम्मू-कश्मीर), श्रीदुर्गाष्टमी व्रत, श्रीअन्नपूर्णाष्टमी व्रत, नेहरू जयंती, बाल दिवस।
15 नवंबर: अक्षयनवमी व्रत, आंवला नवमी, जुगलजोडी़ परिक्रमा (मथुरा-वृंदावन), सत्ययुगादि तिथि, कूष्माण्ड नवमी, जगद्धात्री पूजा पूर्ण (बंगाल), अनला नवमी (उडीसा), श्रीहंस भगवान एवं सनकादि जयंती, सर्वेश्वर प्रभु का प्राकट्योत्सव (निम्बार्क), वेद-संस्थापना महोत्सव, अयोध्या-परिक्रमा, विष्णुत्रिरात्र प्रारंभ, श्रीमहाकाल की सवारी (उज्जयिनी), बिरसा मुण्डा जयंती।
16 नवंबर: आशा दशमी, कंस-वध लीला (मथुरा), वृश्चिक-संक्रान्ति सायं 5.18 बजे, पुण्यकाल प्रात: 10.54 से सूर्यास्त तक।
17 नवंबर: श्रीहरि-प्रबोधिनी एकादशी व्रत, देवोत्थान उत्सव, ईखरस-प्राशन, विष्णुत्रिरात्र पूर्ण, तुलसी-विवाहोत्सव प्रारंभ, भीष्मपंचक प्रारंभ, संत नामदेव जयंती, सोनपुर मेला शुरू (बिहार), लाला लाजपतराय बलिदान दिवस, कालीदास जयंती।
18 नवंबर: दामोदर द्वादशी, श्यामबाबा द्वादशी, गरुड द्वादशी (उडीसा), मेला खाटूयाम (राज.), तुलसी विवाह, मत्स्य द्वादशी
19 नवंबर: प्रदोष व्रत, श्रीराधावल्लभ-पाटोत्सव (वृन्दावन), वैकुण्ठ चतुर्दशी व्रत, निशीथकाल में महाविष्णु-पूजा, रात्रि के अंतिम प्रहर में अरुणोदय के समय मणिकर्णिका स्नान (काशी), हरि-हर मिलन (उज्जयिनी), रानी लक्ष्मीबाई जयंती एवं इंदिरा गांधी जन्मदिवस, स्वामी अखण्डानंद स्मृति दिवस।
20 नवंबर: वैकुण्ठ चतुर्दशी, श्रीकाशीविश्वनाथ-प्रतिष्ठा दिवस (वाराणसी), सिद्धवट यात्रा (उज्जयिनी), नर्मदेश्वर को तुलसी-समर्पण।
21 नवंबर: स्नान-दान-व्रत की कार्तिक पूर्णिमा, देव-दीपावली (वाराणसी), निम्बार्क जयंती 5106 वीं, श्रीसत्यनारायण पूजा-कथा, श्रीगुरु नानक जयंती, सामा-विसर्जन (मिथिलांचल)।
22 नवंबर: कात्यायनी पूजा प्रारंभ, सूर्य सायन धनु में दिन 3.45 बजे।
23 नवंबर: सत्यसाईबाबा जन्मदिवस, अशून्य शयन व्रत, रोहिणी व्रत
24 नवंबर: सौभाग्यसुंदरी व्रत, गुरु तेगबहादुर शहीदी (नानकशाही)।
25 नवंबर: संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत, गजानन चतुर्थी व्रत, वैधृति महापात दिन 11.21 से सायं 7.21 तक।
26 नवंबर: वीड पंचमी-श्रीमनसादेवी शयन एवं श्रीविषहरा पूजा (मिथिलांचल), अन्नपूर्णा माता का 16 दिवसीय व्रत प्रारंभ (काशी)।
28 नवंबर: श्रीकालभैरवाष्टमी व्रत, श्रीकालभैरव दर्शन-पूजन (काशी, उज्जयिनी), भैरवनाथ जयंती, भानु-सप्तमी पर्व दिन 3.07 तक (सूर्यग्रहणतुल्य)।
29 नवंबर: प्रथमाष्टमी (उडीसा), आताल-पाताल सवारी (उज्जयिनी), श्रीमहाकाल-सवारी (उज्जयिनी)
30 नवंबर: अनलानवमी (उडीसा)

1 दिसंबर 2010

1 दिसंबर: उत्पन्ना एकादशी व्रत (स्मार्तो का), वैतरणी एकादशी, महावीर स्वामी दीक्षा कल्याणक (जैन)।
2 दिसंबर: उत्पन्ना एकादशी व्रत (वैष्णवों का)।
3 दिसंबर: प्रदोष व्रत, संत ज्ञानेश्वर समाधि उत्सव, श्रीराजेन्द्र प्रसाद जयंती।
4 दिसंबर: मासिक शिवरात्रि व्रत, तिरुपति बालाजी उत्सव, मेला पुरमण्डल-देविका स्नान (जम्मू-कश्मीर), नौसेना दिवस, पाक्षिक प्रतिक्रमण।
5 दिसंबर: स्नान-दान-श्राद्ध की अमावस्या, बकुला अमावस, गौरीतपो व्रत।
6 दिसंबर: मार्तण्ड (मल्लारि) भैरव षड्रात्र प्रारंभ (महाराष्ट्र, मालवा), रुद्र व्रत (पीडिया), धन्य व्रत, डॉ. अम्बेडकर स्मृति दिवस।
7 दिसंबर: नवीन चन्द्र-दर्शन, सशस्त्र सेना- झण्डा दिवस, व्यतिपात महापात दिन 1.40 से रात्रि 2.04 तक।
8 दिसंबर: इस्लामी हिजरी सन् 1432 शुरू (मुस.)।
9 दिसंबर: वरदविनायक चतुर्थी व्रत।
10 दिसंबर: विवाह पंचमी, श्रीसीता-राम विवाहोत्सव (मिथिलांचल, अयोध्या), विहार पंचमी- श्रीबांकेबिहारी का प्राकट्योत्सव (वृंदावन)।
11 दिसंबर: चम्पा षष्ठी, मा‌र्त्तण्ड भैरव उत्थापन (मालवा, महाराष्ट्र), मूलकरूपिणी षष्ठी (बंगाल), सुब्रह्मण्यम षष्ठी (दक्षिण भारत), स्कन्द (कुमार) षष्ठी व्रत, श्रीअन्नपूर्णा माता का धान से श्रृंगार (काशी), खण्डेराव-सवारी, ओशो जन्मोत्सव।
12 दिसंबर: भानु-सप्तमी पर्व (सूर्यग्रहणतुल्य), मित्र सप्तमी (बंगाल), सूर्य-पूजन, विष्णु-नन्दा-भद्रा सप्तमी, कात्यायनी महापूजा प्रारंभ, नरसिंह मेहता जयंती, संत तारण तरण जयंती।
13 दिसंबर: श्रीदुर्गाष्टमी व्रत, श्रीअन्नपूर्णाष्टमी व्रत, कुमारिका-पूजन।
14 दिसंबर: मेंहदी रात (मुस.), ऊर्जा बचत दिवस।
15 दिसंबर: नन्दिनी नवमी, सरदार पटेल स्मृति दिवस, कात्यायनी महापूजा पूर्ण
16 दिसंबर: दशादित्य व्रत, कत्ल रात (मुस.), धनु-संक्रान्ति प्रात: 7.59 बजे, पुण्यकाल दिन 2.23 तक, धनु (खर) मास प्रारंभ।
17 दिसंबर: मोक्षदा एकादशी व्रत, बैकुण्ठ एकादशी (दक्षिण भारत), श्रीमद्भगवद्गीता जयंती, मौनी ग्यारस (जैन), मोहर्रम-ताजिया (मुस.)।
18 दिसंबर: अखण्ड द्वादशी, केशव द्वादशी, व्यंजन द्वादशी (गौडीय वैष्णव), श्यामबाबा द्वादशी, धरणी व्रत, शनि-प्रदोष व्रत (पुत्र-प्राप्ति हेतु)
20 दिसंबर: पिशाच मोचन श्राद्ध चतुर्दशी, कपर्दीश्वर-दर्शन (काशी), पूर्णिमा व्रत, दत्तात्रेय जयंती, श्रीसत्यनारायण पूजा-कथा, रोहिणी व्रत (दिग.जैन), पाक्षिक प्रतिक्रमण।
21 दिसंबर: स्नान-दान की 'मृगशिरा' नक्षत्रयुता अग्रहायणी पूर्णिमा, बत्तीसी पूनम, त्रिपुरभैरवी महाविद्या जयंती, अन्नपूर्णा जयंती, छप्पन भोग (बलदाऊ-मथुरा), कात्यायनी पूजा पूर्ण, सूर्य सायन मकर में शेष रात्रि 5.08 बजे, अयन-पुण्यकाल आगामी दिन, वैधृति महापात प्रात: 8.20 से देर रात 2.05 तक।
22 दिसंबर: मुंजहर तहर-मातृका पूजा (जम्मू-कश्मीर), सायन मतानुसार सूर्य उत्तरायन, अयन-पुण्यकाल दिन भर, करि दिन, सौर शिशिर ऋतु प्रारंभ।
23 दिसंबर: किसान दिवस, गौना उत्सव (अयोध्या)।
24 दिसंबर: संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत, सौभाग्य सुंदरी व्रत।
25 दिसंबर: महामना मालवीय जन्मदिवस (तारीखानुसार), आचार्य तुलसी दीक्षा दिवस (जैन)।
26 दिसंबर: जोड मेला 3 दिन (फतेहगढ साहिब- पंजाब)।
27 दिसंबर: शारदा माता जयंती, मिर्जा गालिब जन्मदिवस।
28 दिसंबर: कालाष्टमी व्रत, अष्टका श्राद्ध, रुक्मिणी अष्टमी व्रत, श्रीहनुमानाष्टमी (उज्जयिनी), महामना मदनमोहन मालवीय जयंती।
29 दिसंबर: अन्वष्टका श्राद्ध।
30 दिसंबर: पौषी दशमी-श्रीपा‌र्श्वनाथ जयंती (जैन)।
31 दिसंबर: सफला एकादशी व्रत, सुरूपा द्वादशी, व्यतिपात महापात रात्रि 10.42 से,