प्रदोश काल ---सायं काल 05-47 से 08-20 तक रात्रि में वृषलग्न--07-21 से 09-15 तक मध्य रात्रि मे सिंह लग्न --02-00 से 04-16 तक चौघडियां मुहूर्त --शाम 05 से 07--28 तक शुभ अमृत तथा चर के चौघडियां रात्रि 09 से मध्य रात्रि 01--47बजे तक
उपायों का क्रम आज से नहीं सदियों से चला आ रहा हैं जिसे अपना कर हमारे पुर्वजो ने राजा महाराजाओं को धन दौलत पुत्र स्त्री जमीन आदि प्राप्त कराये हैं। हमे प्राप्त मेलो के जन्म लग्ग्ल चक्र के आधार पर ज्योतिष पुस्तको एवं विद्धवानो के अनुभव के आधार पर जनकल्याण के उद्धेश्य से देना प्रारम्भ कर रहें हैं कुछ नामो में परिर्वतन किया गया हैं उन्हे मेल के माध्यम से परिवर्तित नाम से अवगत कराया गया हैं जो अपने प्रश्नो के उत्तर अपने तक हि रखना चाहते हैं वह मेल पर स्पष्टरूप से अवगत कराये
शनिवार, 10 अक्तूबर 2009
अमावस्या में दीपावली मनाया जाना उचित है
17 अक्टूबर को उदयतिथि चतुर्दशी दोपहर 12:38 बजे तक है। इसके बाद अमावस्या शुरू होगी, जो अगले दिन सुबह 11:04 बजे तक रहेगी। शास्त्रों के अनुसार प्रदोषकाल से रात्रि तक रहने वाली अमावस्या में दीपावली मनाया जाना उचित है। इस कारण 17 अक्टूबर को चतुर्दशी के दिन ही दीपावली मनाई जाएगी।’पांच दिवसीय दीपोत्सव 15 अक्टूबर को 4:40 बजे तक ही द्वादश तिथि रहेगी। इसके बाद त्रयोदशी होने से धनतेरस भी मनेगी। 16 अक्टूबर को त्रयोदशी दोपहर 2:32 बजे तक रहेगी। इसके बाद चतुर्दशी का दीपदान होगा। 17 अक्टूबर को चतुर्दशी दोपहर 12:38 बजे तक रहेगी। इसके बाद अमावस्या शुरू होगी। इस लिए इसी दिन रात को लक्ष्मीपूजन के साथ दीपावली मनाई जाएगी। 18 अक्टूबर को अमावस्या सुबह 11:04 तक रहेगी। फिर प्रतिपदा शुरू होगी। इसी दिन गोवर्धन पूजा होगी। 19 अक्टूबर को प्रतिपदा सुबह 9:58 बजे तक रहेगी। इसके बाद भाईदूज का पर्व मनाया जा सकेगा।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें