बुधवार, 30 दिसंबर 2009

प्रेम में सफलता और सुंदर पति अथवा पत्नी की प्राप्ति होती है।

मनुष्य के जीवन के बनने बिगड़ने में रेखाओं हथेली में विद्यमान पर्वतों, पोरों, चिह्नों आदि की भूमिका अहम होती है। इन सबका ज्ञान हमें हस्त सामुद्रिक शास्त्र से मिलता है। विद्वानों का मानना है कि हस्त रेखाएं स्थिर हैं, कभी बदलती नहीं। परंतु वैज्ञानिक खोजों से स्पष्ट हो चुका है कि रेखाएं परिवर्तनशील होती हैं।
विवाह एवं वैवाहिक जीवन की स्थिति पता लगाने के लिए कुछ विद्वान छोटी उंगली के नीचे स्थित बुध पर्वत की रेखाओं का विश्लेषण करते हैं तो कुछ अन्य शुक्र पर्वत से। किंतु कुछ विद्वानों का मानना है कि ये वास्तव में विवाह रेखाएं नहीं हैं। बल्कि ये जीवन को विभक्त करने वाली रेखाएं हैं। विवाह भी जीवन को दो भागों में बांट देता है- एक विवाह पूर्व का और दूसरा विवाह के बाद का।
1--अगर किसी रेखा में से कोई रेखा निकल कर नीचे की ओर जाए या नीचे की ओर झुके तो उसका फल प्रतिकूल होता है या कमी आती है। इसके विपरीत ऐसी कोई रेखा ऊपर की ओर जाए तो फल में वृद्धि होती है।
2--जंजीरनुमा रेखा अशुभ फल देती है।
3--यदि विवाह रेखा, जो बुध पर्वत पर होती है, जंजीरनुमा हो तो प्रेम प्यार में असफलता का मुंह देखना पड़ता है।
4--यदि मस्तिष्क रेखा जंजीरनुमा हो तो व्यक्ति अस्थिर बुद्धि वाला अथवा पागल हो सकता है।
5--लहरदार रेखा अशुभ मानी गई है। ऐसी रेखाएं शुभ फल प्रदान नहीं करती हैं।
6--रेखा अगर कहीं पतली और कहीं मोटी हो तो रेखा अशुभ होती है। ऐसी रेखा वाला व्यक्ति बार-बार धोखा खाता है तथा सफलता-असफलता के बीच झूलता रहता है।
7--जीवन रेखा के अतिरिक्त यदि कोई अन्य रेखा अपने आखिरी सिरे पर पहुंच कर दो भागों में बंटी हो तो वह अत्यंत प्रभावी तथा श्रेष्ठ फल देने वाली होती है। परंतु यदि हृदय रेखा दो भागों में बंटी हो तो व्यक्ति को हृदय रोग की संभावना रहती है।
8--यदि प्रणय रेखा से कोई रेखा निकल कर ऊपर की ओर जाए तो प्रेम में सफलता और सुंदर पति अथवा पत्नी की प्राप्ति होती है। परंतु यदि नीचे की ओर रुख करे तो प्रेम में असफलता मिलती तथा पति अथवा पत्नी को अस्वस्थता का सामना करना पड़ता है।

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