शुक्रवार, 12 अक्तूबर 2012

शनि को खुश करने वालों पर उनकी कृपा बरसेगी।


8-10-2012 सोमवार शाम 5 बजकर 55 मिनट पर शनि अस्त होकर धरती से दूर चले गये है. इसके साथ ही शनि की सूर्य से नजदीकी बढ़ने लगेगी. अपने पिता के नजदीक जाकर शनि खुद तो जलेगा ही और धरती पर भी आग लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगे. अस्त शनि की ये चाल 8-10-2012 सोमवार से 34 दिनों तक नये नये रगं दिखा कर चौकायेगा  इसलिए इन 34 दिनों में बेहद संभलकर रहें. और अपने कार्यो को अंजाम दे।
न्यायप्रिय ग्रह शनि अपनी ही उच्च राशि में अस्त हो गए हैं। सूर्यदेव के प्रभाव में आकर शनि के अस्त होने से आपकी राशि पर कैसा असर रहेगा जानिए...
शनिदेव अभी उच्च राशि तुला में परिभ्रमण कर रहे हैं, जो 8-10-2012 सोमवार शाम 5 बजकर 55 मिनट पर अस्त हुए हैं और 8 नवंबर को उदय होंगे। इस अवधि में शनि को खुश करने वालों पर उनकी कृपा बरसेगी। खासकर साढ़ेसाती, ढय्या वालों को शनि के कुप्रभाव से राहत मिल जाएगी। सौर मंडल में शनि को न्यायप्रिय ग्रह का दर्जा प्राप्त है। इस समय नीतिगत कार्य करने वालों की उन्नति संभव होगी लेकिन जैसे ही शनि उदय होंगे, वे पुन: अपना प्रभाव दिखाना शुरू कर देंगे।  
मेष - इस राशि के लिए शनि का अस्त होना शुभ रहेगा। कार्यों में सफलता और उन्नति के योग बन रहे हैं।
वृषभ - वृष राशि वालों के लिए यह समय सफलता दिलाने वाला रहेगा। पुराने अटके हुए कार्यों से लाभ होगा।
मिथुन - बुध ग्रह की राशि के लोगों को शनि के अस्त होने से धन लाभ प्राप्त होगा और मान-सम्मान मिलेगा।  
कर्क - इस राशि पर शनि का ढय्या चल रहा है। अत: इन लोगों को कार्यों में कठिन परिश्रम करना पड़ेगा।   
सिंह - कुछ ही दिनों पूर्व इस राशि से शनि की साढ़ेसाती समाप्त हुई है, अत: शनि के अस्त होने से इन्हें और अधिक लाभ प्राप्त होंगे। शत्रुओं पर विजय प्राप्त होगी।       
कन्या- कन्या राशि पर शनि की उतरती हुई साढ़ेसाती चल रही है और शनि अब अस्त हो गए हैं तो इन्हें कार्यों में रुकावटों का सामना करना पड़ेगा।   
तुला - तुला राशि में शनि उच्च के रहते हैं और इस समय इस राशि के लोगों को शनि की साढ़ेसाती का मध्य भाग चल रहा है। शनि अस्त होने के कारण इन लोगों कठिन श्रम करना होगा, तभी सफलता प्राप्त होगी।  
धनु - इन लोगों को कार्यों में सफलता प्राप्त होगी और मान-सम्मान मिलेगा।           
मकर - शनि के इस राशि का स्वामी है और शनि के अस्त होने पर इन लोगों को ऐश्वर्य और समाज में मान-सम्मान प्राप्त होगा।
कुंभ - कुंभ राशि वालों के लिए भी शनि का अस्त होना शुभ समय लेकर आया है। इन लोगों को कार्यों में सफलता प्राप्त होगी।          
मीन - इन लोगों के लिए अस्त शनि थोड़ी परेशानियों लेकर आया है। अत: सावधानी से कार्य करें, स्वास्थ्य का ध्यान रखें।
प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान एवं शिक्षा केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट 09359109683

बुधवार, 16 मई 2012

सूर्य ग्रहण 20 मई 2012 रविवार (ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या) को होगा इस दिन वृषभ राशि में चंद्रमा, बुध, सूर्य, गुरू और केतु रहेंगे।


सूर्य ग्रहण 20 मई 2012 रविवार (ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या) को होगा। इस दिन शनि जयंती का योग भी बन रहा है। सूर्यग्रहण का यह दुर्लभ संयोग सौ साल बाद आ रहा है। जिसमें एक ही राशि में छह ग्रहों के साथ सूर्यग्रहण आएगा। इस दिन वृषभ राशि में चंद्रमा, बुध, सूर्य, गुरू और केतु रहेंगे।
ये पहली बार नहीं है जब शनि जयंती के दिन सूर्य ग्रहण का योग बन रहा है। पं. शर्मा के अनुसार इसके पहले 2011 में भी शनि जयंती व सूर्य ग्रहण का योग बना था।

पांचागों  के अनुसार इस साल का पहला कंकड़ाकृति सूर्य ग्रहण 20 मई 2012 रविवार (ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या) को होगा। इस दिन शनि जयंती का योग भी बन रहा है। सूर्यग्रहण का यह दुर्लभ संयोग सौ साल बाद आ रहा है। जिसमें एक ही राशि में छह ग्रहों के साथ सूर्यग्रहण आएगा। इस दिन वृषभ राशि में चंद्रमा, बुध, सूर्य, गुरू और केतु रहेंगे। ग्रहो का ये योग अद्वभुत योग है ज्योतिषियों के अनुसार यह ग्रहण कृत्तिका नक्षत्र, वृष राशि में होगा, जो भारत के केवल पूर्वी भाग में खण्डग्रास रूप में दिखाई देगा। ग्रहण का मोक्ष दूसरे दिन यानी 21 मई 2012 सोमवार को सुबह 4 बजकर 51 मिनिट पर होगा। वृष राशि में ग्रहण होने से प्राकृतिक आपदा से जन-धन की हानि के योग बन रहे हैं। सरकार और नागरिकों के बीच तनाव और संघर्ष की स्थिति बन सकती है। राष्ट्र को बड़े राजनेताओं की हानि हो सकती है। आकस्मिक दुर्घटना जैसे रेल हादसे, विमान हादसे के कारण जान-माल का नुकसान भी संभावित है। पड़ोसी देशों से संबंधों में भी कुछ मतभेद हो सकते हैं।
भारत में जिन भागों में यह ग्रहण दिखाई देगा, केवल उन्हीं भागों में इसके सूतक पर विचार किया जाएगा.ऐसा मेरे कुछ मित्रो का मानना है परन्तु मेरे विचारो मे भिन्नता है मेरा विचार है भारत वर्ष एक है सूतक का प्रभाव सारे भरतवर्ष पर पडेगा विचार किया जाना चाहिये इस दिन ग्रहण का सूतक स्थानीय सूर्योदय से 12 घण्टे पहले 20 मई से ही आरम्भ हो जाएगा. 20 मई को यह सूतक शाम 4 बजकर 30 मिनट से से आरम्भ हो जाएगा. यदि किसी को सूतक का समय जानना है तब उस स्थान के सूर्योदय से 12 घण्टे पहले का समय लेकर जान सकता है.
हिंदू धर्म के अनुसार ज्येष्ठ मास की अमावस्या को शनि जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान शनि देव का विशेष पूजन किया जाता है। इस बार यह पर्व 20 मई 2012  रविवार को है। लेकिन शनि जयंती के दिन ही इस बार सूर्य ग्रहण का योग भी बन रहा है। ज्योतिष के अनुसार सूर्य व शनि पिता-पुत्र हैं इसलिए शनि जयंती के दिन सूर्य ग्रहण होना ज्योतिषिय दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण घटना है।
ग्रहण के समय मौन रहोगे, जप करोगे, ध्यान करोगे...... तो १०,००० गुना फल प्राप्त होगा सूर्य ग्रहण के समय हज़ार काम छोड़ कर मौनधारण करे और अपने ईष्ट का जप करे। जिन्हें अपने ईष्टदेव का नहीं पता है वह अपने पारीवारिक रीति रिवाजों के अनुसार ईश्वर का ध्यान करना चाहिये. पूजन, जाप, हवन, तर्पण, पाठ, दान आदि कार्य ग्रहण समय तथा सूतक समय में किए जा सकते हैं.
शुक्र कि वस्तुओ पर प्रभाव दिखेगा — चांदी के जेवर या अन्य पदार्थ ,अगरबत्ती व धूप ,श्वेत पदार्थ , कला क्षेत्र ,अभिनय , टूरिज्म , वाहन ,दूध दही ,चावल ,शराब ,श्रृंगार के साधन ,गिफ्ट हॉउस ,चाय -कोफ़ी ,गारमेंट्स ,इत्र,,ड्रेस डिजायनिंग ,मनोरंजन के साधन ,फिल्म उद्योग ,वीडियो पार्लर ,मैरिज ब्यूरो ,इंटीरियर डेकोरेशन ,हीरे के आभूषण ,पालतू पशुओं का व्यापार या चिकित्सक , चित्रकला तथा स्त्रियों के काम में आने वाले पदार्थ , मैरिज पैलेस एवम विवाह में काम आने वाले सभी कार्य व पदार्थ इत्यादि |
प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट के अनुसार के इस बार शनि जयंती के दिन सूर्य ग्रहण होना शुभ है। शनि, सूर्य के पुत्र हैं तथा सूर्य से शत्रुता का भाव रखते हैं किंतु सूर्य, शनि के साथ शत्रुता का भाव नही रखते। 20 मई 2012 रविवार को होने वाला सूर्य ग्रहण व शनि जयंती का संयोग अच्छी वर्षा तथा विदेशी व्यापार में सफलता की ओर संकेत करता है। सूर्य ग्रहण का प्रभाव जिन देशों में होगा उनके शत्रुओं का दमन होगा। भारत के लिए आने वाला सूर्यग्रहण लाभकारी होगा जो चीन तथा पाकिस्तान को सीमित रखने में सफल होगा।
कब-कब बना शनि जयंती के दिन सूर्य ग्रहण का योग 

इसके पूर्व 10 जून 2002 एवं 31 मई 2003 में भी यह योग बना था। शनि जयंती के साथ सूर्य ग्रहण का योग पिछले वर्षों में कई बार बना है। 30 मई 1946, 20 मई 1947, 10 जून 1964, 30 मई 1965, 20 मई 1966, 8-9 मई 1967 में भी यह योग बना था। आगे 10 जून 2021 में भी सूर्य ग्रहण के साथ शनि जयंती का योग बनेगा। 
वृष राशि में ग्रहण होने से प्राकृतिक आपदा से जन-धन की हानि के योग बन रहे हैं। सरकार और नागरिकों के बीच तनाव और संघर्ष की स्थिति बन सकती है। राष्ट्र को बड़े राजनेताओं की हानि हो सकती है। आकस्मिक दुर्घटना जैसे रेल हादसे, विमान हादसे के कारण जान-माल का नुकसान भी संभावित है। पड़ोसी देशों से भी संबंध तनावपूर्ण रहेंगे।

  1. मेष राशि के जातकों को कष्ट हो सकता है. उन्हें हानि का सामना करना पड़ सकता है.
  2. वृष राशि के जातकों को शारीरिक कष्ट हो सकते हैं. इनके धन का क्षय भी हो सकता है. इन्हें सतर्क रहना चाहिए.
  3. मिथुन राशि के जातकों को इस ग्रहण का फल अच्छा मिलने में सन्देह है. इन्हें धन हानि हो सकती है.
  4. कर्क जातकों के लिए इस ग्रहण का फल शुभफलदायी होगा. इन्हें धन लाभ होने की संभावना बनती है.
  5. सिंह राशि के जातकों के लिए यह ग्रहण सुखदायी तथा कल्याणकारी रहने की संभावना बनती है.
  6. कन्या राशि वाले लोगों को सवधान रहना चाहिए. फालतू की बातों में ना उलझे अन्यथा उन्हें अपमानित होना पड़ सकता है.
  7. तुला राशि को विशेषरुप से सतर्क रहना चाहिए. उन्हें अधिक कष्ट उठाने पड़ सकते हैं.
  8. वृश्चिक राशि के जातकों को अपने जीवनसाथी से कष्ट हो सकता है. आपसी अनबन अथवा जीवनसाथी को शारीरिक कष्ट होने की संभावना बनती है.
  9. धनु राशि के व्यक्तियों के लिए यह ग्रहण शुभ रहेगा. उन्हें सुख-साधनों की प्राप्ति के योग बनते हैं.
  10. मकर राशि के जातकों के लिए ग्रहण का फल चिन्ताजनक हो सकता है. आप किसी चिन्ता से घिरे रह सकते हैं.
  11. कुम्भ राशि के जातकों के लिए ग्रहण का प्रभाव कष्टकारी रह सकता है. आपको कुछ कष्टों का सामना करना पड़ सकता है.
  12. मीन राशि के व्यक्तियों के लिए ग्रहण का फल शुभफलदायी रहने की संभावना बनती है. आपको कहीं ना कहीं से धन लाभ हो सकता है.
  13. दूसरा ग्रहण 15दिन बाद  जून सोमवार को पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण वृश्चिक राशि पर पडेगा। अमावस्या पर लगने वाले सूर्य ग्रहण से मेष, वृष, मिथुन, कन्या, तुला, वृश्चिक, मकर और कुंभ राशि प्रभावित होंगी। जबकि कर्क, सिंह, धनु और मीन राशि वालों के लिए अच्छा साबित होगा।
  14. शनि ज्यन्ती पर शनि शमन के उपाय करे
  15. शनिदेव तो कर्मफलदाता है और किसी का पक्षपात नहीं करते हैं। शनि अनुकूलन के उपाय का तात्पर्य वैसे शास्त्रोंक्त अनुष्ठानों व शुभ कर्मों से है जिससे पूर्वकृत कर्मों का प्रायश्चित हो जाता है।
  16.     घर में नीले रंग के वस्त्र, नीले रंग के पर्दे, नीले रंग की चादरें व दीवारों पर भी नीला रंग का प्रयोग करें।
  17.     लगातार 27 शनिवारों को 7 बादाम और 7 उड़द के दाने किसी धर्म स्थान पर रख के आ जायें।
  18.     मांस-मदिरा से दूर रहें।
  19.     किसी भी शनिवार को शुरू करके 43 दिनों तक सूर्योदय के समय शनिदेव पर तेल चढ़ाएं।
  20.     पीपल के वृक्ष पर शनिवार को जल चढाये सूर्य उदय से पूर्व या सूर्य उदय के पश्चात। 
  21.     चांदी का चौकोर टुकड़ा सदा अपने पास रखें।
  22.     स्नान करते समय पानी में कच्चा दूध डाल कर लकड़ी के पट्टे पर बैठकर नहायें।
  23.     यदि चन्द्रमा ठीक न हो तो 500 ग्राम उड़द में सरसों का तेल लगाकर पानी में प्रवाहित करें।
  24.     चन्द्रमा प्रतिकूल हो तो 500 ग्राम दूध सोमवार के दिन बहते पानी में प्रवाहित करें और शनिवार के दिन उड़द प्रवाहित करें।
  25.     शनिवार का व्रत रखें और तेल से शनि का अभिषेक करें। नमक का प्रयोग न करे।
  26.     किसी गरीब लड़की के विवाह में जलावन के लिए कोयले या ईंधन खरीदकर दें।
  27.     झूठ न बोलें। शराब व मांसाहार से दूर रहें।
  28.     रोटी के टुकड़ों पर सरसों का तेल चुपड़कर कौओं या कुत्तो को खिलायें।
  29.     शनिवार के दिन पत्थर के कोयले लंगर पकाने के लिए किसी धार्मिक स्थान में दान दें।
  30.     गौ माता की सेवा करें।
  31.     केसर का तिलक नियमित रूप से माथे पर लगाया करें।
  32.     लोहे की वस्तुएं यानी तवा, चिमटा, अंगीठी आदि का दान किसी संत या सज्जन पुरुष को करें।
  33.     यदि कारोबार में घाटा हो रहा हो तो लगातार 43 दिनों तक कौओं या कुत्तों के लिए रोटी डालें।
  34.     लोहे की बासुरी में खांड भरकर किसी वीरान स्थान में दबा दें।
    प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट 09359109683

शनिवार, 21 अप्रैल 2012

अक्षय तृतीया का सर्वसिद्ध मुहूर्त के रूप में भी विशेष महत्व है तंत्र प्रयोगों से बचाता है यह टोटका


इस बार 24 अप्रैल 2012 को अक्षय तृतीया है. इस दिन किये शुभ कार्य का अक्षय फल मिलता है. 23 अप्रैल की शाम 3.55 बजे से तृतीया लग रही है, जो मंगलवार की शाम 5.51 बजे तक रहेगी
अक्षय तृतीया या आखा तीज वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को कहते हैं। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन जो भी शुभ कार्य किये जाते हैं, उनका अक्षय फल मिलता है। इसी कारण इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है। वैसे तो सभी बारह महीनों की शुक्ल पक्षीय तृतीया शुभ होती है, किंतु वैशाख माह की तिथि स्वयंसिद्ध मुहूर्तो में मानी गई है। भविष्य पुराण के अनुसार इस तिथि की युगादि तिथियों में गणना होती है, सतयुग और त्रेता युग का प्रारंभ इसी तिथि से हुआ है। भगवान विष्णु ने नर-नारायण, हयग्रीव और परशुराम जी का अवतरण भी इसी तिथि को हुआ था। ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का आविर्भाव भी इसी दिन हुआ था। इस दिन श्री बद्रीनाथ जी की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाती है और श्री लक्ष्मी नारायण के दर्शन किए जाते हैं। प्रसिद्ध तीर्थ स्थल बद्रीनारायण के कपाट भी इसी तिथि से ही पुनः खुलते हैं। वृंदावन स्थित श्री बांके बिहारी जी मन्दिर में भी केवल इसी दिन श्री विग्रह के चरण दर्शन होते हैं, अन्यथा वे पूरे वर्ष वस्त्रों से ढके रहते हैं।

अक्षय तृतीया का सर्वसिद्ध मुहूर्त के रूप में भी विशेष महत्व है।
अक्षय तृतीया: तंत्र प्रयोगों से बचाता है यह टोटका
तंत्र का उपयोग पहले जनकल्याण के लिए किया जाता था लेकिन समय के साथ इसका उपयोग स्वार्थ सिद्धि के लिए किया जाने लगा। कुछ लोग अपने स्वार्थ के लिए तंत्र के माध्यम से लोगों को परेशान करते हैं। यदि आप भी दुश्मनों के तांत्रिक प्रयोगों से पीडि़त रहते हैं तो अक्षय तृतीया के दिन यह साधना आपके लिए उपयोगी रहेगी।
सर्वप्रथम मूंगा हनुमान (मूंगे से निर्मित हनुमान प्रतिमा) की स्थापना अपने घर के एकांत कक्ष में चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर करें। उनका यथाविधि पूजन करें और उन पर सिंदूर चढ़ाएं, तदुपरांत इस मंत्र का यथासंभव जप करें-
मंत्र-
ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय,
पर यंत्र-मंत्र-तंत्र-त्राटक-नाशकाय,
सर्व-ज्वरच्छेदकाय, सर्व-व्याधि-निकृन्तकाय,
सर्व-भय-प्रशमनाय, सर्वदुष्ट-मुख-स्तम्भनाय,
देव-दानव-यक्ष-राक्षस-भूत-प्रेत-पिशाच-डाकिनी-शाकिनी-दुष्टग्रह-बन्धनाय,
सर्व-कार्य-सिद्धि-प्रदाय रामदूताय स्वाहा।
अक्षय तृतीया के बाद मूंगा हनुमानजी की प्रतिमा को अपने पूजा स्थान में स्थापित करें और प्रत्येक दिन उनका धूप-दीप से पूजन करें तथा इस मंत्र का कम से कम 11 बार जप करें।
अगर किया हो किसी ने बिजनेस पर टोटका तो यह करें
व्यापार-व्यवसाय में प्रतिस्पर्धा भी होती है लेकिन कुछ लोग तंत्र का प्रयोग कर दूसरे की दुकान या व्यवसाय को बांध देते हैं जिसके कारण चलता हुआ बिजनेस भी ठप्प हो जाता है। यदि किसी ने आपके व्यापार-व्यवसाय पर भी तांत्रिक प्रयोग कर दिया हो तो इस साधना से उस तांत्रिक प्रयोग को काटा जा सकता है। इस उपाय से व्यापार फिर से उन्नति करने लगेगा। यह उपाय अक्षय तृतीया(6 मई, शुक्रवार) को करें तो और भी अधिक शुभ फल प्रदान करता है।
उपाय
1 दिव्य शंख, 11 लक्ष्मीकारक कौडिय़ां एवं सात गोमती चक्र, 108 काली मिर्च, 108 लौंग एवं थोड़ी सी सरसों (लगभग 100 ग्राम) को पीसकर रख लें। शाम को लकड़ी के पटरे पर या बैत कि चौकि पर एक काला कपड़ा बिछाकर किसी कटोरी में इस मिश्रण को भरकर स्थापित कर लें। अब सरसों के तेल का दीपक जलाकर इस कटोरी को भीतर रख दें। फिर दक्षिण की तरफ मुंह करके बैठें एवं नीचे लिखे मंत्र की 3 या 7 माला जप करें।
मंत्र---ऊँ दक्षिण भैरवाय भूत-प्रेत बंध तंत्र बंध निग्रहनी सर्व शत्रु संहारणी सर्व कार्य सिद्धि कुरु-कुरु फट् स्वाहा
अगले दिन थोड़ा सा मिश्रण कटोरी में से निकालकर दुकान के सामने बिखेर दें। इस प्रयोग द्वारा आप किसी भी प्रकार के तंत्र बंधन को काट सकते हैं।
अक्षय तृतीया: इस टोटके से कभी न होगी पैसे की कमी----अक्षय तृतीया के शुभ मुहूर्त में यदि कोई टोटका किया जाए तो वह बहुत शीघ्र ही सिद्ध हो जाता है और शुभ फल मिलने लगते हैं। इस बार 24 अप्रैल 2012 को अक्षय तृतीया है। इस अवसर पर नीचे लिखे टोटके को पूरे विधि-विधान से किया तो जीवन में कभी पैसे की कमी नहीं रहती। यह अत्यंत सफल, प्रभावी और तेजस्वी टोटका है।
टोटका
अक्षय तृतीया 24 अप्रैल 2012 की रात को साधक शुद्धता के साथ स्नान कर पीली धोती धारण करे और एक आसन पर उत्तर की ओर मुंह करके बैठ जाएं तथा सामने सिद्ध लक्ष्मी यंत्र को स्थापित करें जो विष्णु मंत्र से सिद्ध हो और स्फटिक माला से निम्न मंत्र का 21 माला जप करें। मंत्र जप के बीच उठे नहीं, चाहे घुंघरुओं की आवाज सुनाई दे या साक्षात लक्ष्मी ही दिखाई दे।
मंत्र---ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं ऐं ह्रीं श्रीं फट्

गुरुवार, 2 फ़रवरी 2012

कार्य की सिद्धि के लिए

अगर आप किसी कार्य की सिद्धि के लिए जाते समय घर से निकलने से पूर्व ही अपने हाथ में रोटी ले लें। मार्ग में जहां भी कौए दिखलाई दें, वहां उस रोटी के टुकड़े कर के डाल दें और आगे बढ़ जाएं। इससे सफलता प्राप्ती के योग बनते है।

सोमवार, 30 जनवरी 2012

स्वयं का मकान नही बन पा रहा हो


लाख प्रयत्न करने पर भी स्वयं का मकान नही बन पा रहा हो, तो आप इस टोटके को अवश्य अपनाएं। 
प्रत्येक शुक्रवार को नियम से किसी भूखे को भोजन कराएं और रविवार के दिन गाय को गुड़ खिलाएं। ऐसा नियमित प्रति दिन करने से अपनी अचल सम्पति बनेगी या पैतृक सम्पति प्राप्त होगी। अगर सम्भव हो तो प्रात:काल स्नान-ध्यान के पश्चात् निम्न मंत्र का जाप करें।
 “ॐ पद्मावती पद्म कुशी वज्रवज्रांपुशी प्रतिब भवंति भवंति।।´´
 यह मंत्र जाप आपको सफलता अवश्य दिलायेगा। 

सुख शांति और संतुष्टि की प्राप्ति होगी

रविवार के दिन पुष्य नक्षत्र हो, तब गूलर के वृक्ष की जड़ प्राप्त कर के घर लाएं। इसे धूप, दीप करके धन स्थान पर रख दें। यदि इसे धारण करना चाहें तो स्वर्ण ताबीज में भर कर धारण कर लें।
जब तक यह ताबीज आपके पास रहेगी, तब तक कोई कमी नहीं आयेगी। घर में संतान सुख उत्तम रहेगा। यश की प्राप्ति होती रहेगी। धन संपदा भरपूर होंगे। सुख शांति और संतुष्टि की प्राप्ति होगी।