शनिवार, 21 अप्रैल 2012

अक्षय तृतीया का सर्वसिद्ध मुहूर्त के रूप में भी विशेष महत्व है तंत्र प्रयोगों से बचाता है यह टोटका


इस बार 24 अप्रैल 2012 को अक्षय तृतीया है. इस दिन किये शुभ कार्य का अक्षय फल मिलता है. 23 अप्रैल की शाम 3.55 बजे से तृतीया लग रही है, जो मंगलवार की शाम 5.51 बजे तक रहेगी
अक्षय तृतीया या आखा तीज वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को कहते हैं। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन जो भी शुभ कार्य किये जाते हैं, उनका अक्षय फल मिलता है। इसी कारण इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है। वैसे तो सभी बारह महीनों की शुक्ल पक्षीय तृतीया शुभ होती है, किंतु वैशाख माह की तिथि स्वयंसिद्ध मुहूर्तो में मानी गई है। भविष्य पुराण के अनुसार इस तिथि की युगादि तिथियों में गणना होती है, सतयुग और त्रेता युग का प्रारंभ इसी तिथि से हुआ है। भगवान विष्णु ने नर-नारायण, हयग्रीव और परशुराम जी का अवतरण भी इसी तिथि को हुआ था। ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का आविर्भाव भी इसी दिन हुआ था। इस दिन श्री बद्रीनाथ जी की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाती है और श्री लक्ष्मी नारायण के दर्शन किए जाते हैं। प्रसिद्ध तीर्थ स्थल बद्रीनारायण के कपाट भी इसी तिथि से ही पुनः खुलते हैं। वृंदावन स्थित श्री बांके बिहारी जी मन्दिर में भी केवल इसी दिन श्री विग्रह के चरण दर्शन होते हैं, अन्यथा वे पूरे वर्ष वस्त्रों से ढके रहते हैं।

अक्षय तृतीया का सर्वसिद्ध मुहूर्त के रूप में भी विशेष महत्व है।
अक्षय तृतीया: तंत्र प्रयोगों से बचाता है यह टोटका
तंत्र का उपयोग पहले जनकल्याण के लिए किया जाता था लेकिन समय के साथ इसका उपयोग स्वार्थ सिद्धि के लिए किया जाने लगा। कुछ लोग अपने स्वार्थ के लिए तंत्र के माध्यम से लोगों को परेशान करते हैं। यदि आप भी दुश्मनों के तांत्रिक प्रयोगों से पीडि़त रहते हैं तो अक्षय तृतीया के दिन यह साधना आपके लिए उपयोगी रहेगी।
सर्वप्रथम मूंगा हनुमान (मूंगे से निर्मित हनुमान प्रतिमा) की स्थापना अपने घर के एकांत कक्ष में चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर करें। उनका यथाविधि पूजन करें और उन पर सिंदूर चढ़ाएं, तदुपरांत इस मंत्र का यथासंभव जप करें-
मंत्र-
ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय,
पर यंत्र-मंत्र-तंत्र-त्राटक-नाशकाय,
सर्व-ज्वरच्छेदकाय, सर्व-व्याधि-निकृन्तकाय,
सर्व-भय-प्रशमनाय, सर्वदुष्ट-मुख-स्तम्भनाय,
देव-दानव-यक्ष-राक्षस-भूत-प्रेत-पिशाच-डाकिनी-शाकिनी-दुष्टग्रह-बन्धनाय,
सर्व-कार्य-सिद्धि-प्रदाय रामदूताय स्वाहा।
अक्षय तृतीया के बाद मूंगा हनुमानजी की प्रतिमा को अपने पूजा स्थान में स्थापित करें और प्रत्येक दिन उनका धूप-दीप से पूजन करें तथा इस मंत्र का कम से कम 11 बार जप करें।
अगर किया हो किसी ने बिजनेस पर टोटका तो यह करें
व्यापार-व्यवसाय में प्रतिस्पर्धा भी होती है लेकिन कुछ लोग तंत्र का प्रयोग कर दूसरे की दुकान या व्यवसाय को बांध देते हैं जिसके कारण चलता हुआ बिजनेस भी ठप्प हो जाता है। यदि किसी ने आपके व्यापार-व्यवसाय पर भी तांत्रिक प्रयोग कर दिया हो तो इस साधना से उस तांत्रिक प्रयोग को काटा जा सकता है। इस उपाय से व्यापार फिर से उन्नति करने लगेगा। यह उपाय अक्षय तृतीया(6 मई, शुक्रवार) को करें तो और भी अधिक शुभ फल प्रदान करता है।
उपाय
1 दिव्य शंख, 11 लक्ष्मीकारक कौडिय़ां एवं सात गोमती चक्र, 108 काली मिर्च, 108 लौंग एवं थोड़ी सी सरसों (लगभग 100 ग्राम) को पीसकर रख लें। शाम को लकड़ी के पटरे पर या बैत कि चौकि पर एक काला कपड़ा बिछाकर किसी कटोरी में इस मिश्रण को भरकर स्थापित कर लें। अब सरसों के तेल का दीपक जलाकर इस कटोरी को भीतर रख दें। फिर दक्षिण की तरफ मुंह करके बैठें एवं नीचे लिखे मंत्र की 3 या 7 माला जप करें।
मंत्र---ऊँ दक्षिण भैरवाय भूत-प्रेत बंध तंत्र बंध निग्रहनी सर्व शत्रु संहारणी सर्व कार्य सिद्धि कुरु-कुरु फट् स्वाहा
अगले दिन थोड़ा सा मिश्रण कटोरी में से निकालकर दुकान के सामने बिखेर दें। इस प्रयोग द्वारा आप किसी भी प्रकार के तंत्र बंधन को काट सकते हैं।
अक्षय तृतीया: इस टोटके से कभी न होगी पैसे की कमी----अक्षय तृतीया के शुभ मुहूर्त में यदि कोई टोटका किया जाए तो वह बहुत शीघ्र ही सिद्ध हो जाता है और शुभ फल मिलने लगते हैं। इस बार 24 अप्रैल 2012 को अक्षय तृतीया है। इस अवसर पर नीचे लिखे टोटके को पूरे विधि-विधान से किया तो जीवन में कभी पैसे की कमी नहीं रहती। यह अत्यंत सफल, प्रभावी और तेजस्वी टोटका है।
टोटका
अक्षय तृतीया 24 अप्रैल 2012 की रात को साधक शुद्धता के साथ स्नान कर पीली धोती धारण करे और एक आसन पर उत्तर की ओर मुंह करके बैठ जाएं तथा सामने सिद्ध लक्ष्मी यंत्र को स्थापित करें जो विष्णु मंत्र से सिद्ध हो और स्फटिक माला से निम्न मंत्र का 21 माला जप करें। मंत्र जप के बीच उठे नहीं, चाहे घुंघरुओं की आवाज सुनाई दे या साक्षात लक्ष्मी ही दिखाई दे।
मंत्र---ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं ऐं ह्रीं श्रीं फट्

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें